गुरुवार, 11 अक्तूबर 2012

कृष्ण कृपा मन राखिये



वचन व्यक्त विश्वास है,वचन रहा है न्यास
        दुष्ट वचन दुख देत रहा,सत्य वचन मे व्यास      ||1||

वचन वाक्य विन्यास नही,वचन कर्म है धर्म
          तृप्त  हुआ वचनाम्रत से ,साधक कर सत्कर्म      ||2||

वचन पुरुष श्रीराम रहे ,वचन वीर घनश्याम
         बच नही पाया दुर्वचनो से,प्यारा सा इन्सान       ||3||

सद वचनों में गुण भरा ,प्रवचन सुख नवनीत
        सन्त ह्रदय सा राखिये,रख मन घट मे प्रीत   ||4||

कृष्णा  की जो लाज रखे ,कृष्ण वचन सा होय
         कृष्ण कृपा मन राखिये , कृष्ण वचन को ढोय    ||5||

वचन विराजे ब्रह्म देव ,वचन विराजे राम
      वचनो पर जो प्राण तजे ,राम पिता गये धाम      ||6||




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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज