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राम
शब्द मे ब्रह्म रमे,रामायण
हरि धाम
हनुमद अमृत दीजिये,जपे
राम का नाम ।।१।।
रावण
बावन फीट हुआ ,हुई
व्यवस्था ढीठ
राम
राज तो नही मिला,रावण
के है पीठ।।२।
मेघनाद
सा पुत्र कहाँ ,कहाँ
सिय सा प्रण
रावण को
भी मिले यहाँ ,राम
क्रपा के क्षण ।।३।।
अनुचर
तो सब विचर रहे,लुप्त
समर्पण भाव
कलपुर्जो
का युग रहा,कलयुग
के है गाँव ।।४।।
धरती
भी बेहाल हुई,यह
दंगो का खैल
संग
रावण के जले यहाँ ,जल
जंगल और रेल।।५।।
सीता
सी मन आस रही,साँस
बसे रघुवीर
रहे
लक्ष्य भी लक्ष्मण सा,तो
जगती तकदीर ।।६।।
ha ha ha bhut sundar kavita
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