शर्म भरी गालो की लाली
मीठी गाली मीठा प्यार
सज नही पाया बिन सजना के
सजनी का कोमल श्रंगार
होठो पर मुस्कान रहे तो
पलको पर ठहरा हो प्यार
गहरे बालो मे बिखरा है
मादक,मस्ती का विस्तार
सोच रही तन-मन यह धडकन
मिलने के कब हो आसार
धवल चाँदनी चन्दा देखे
नवल तृषा देखे उस पार
निशा तो नित ही है होना
कमल चन्द्रमा ले आकार
पायलिया की रून-झुन सुन कर
गूंज उठी मन मे झंकार
बादल से बरसे है नयना
तरस रहे मन के सुख चैना
सरिता तट केवट आ पहुचा,
जल बिन नैया कैसे बहना
उतर रही है भावो की टोली,
भाव करे मन से सत्कार
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