परम धरम अनुराग है ,करम धरम की नींव
तू क्यों चिन्तारत हुआ ,चिंतामन है शिव
सावन होता हरा भरा ,हरियाता हर खेत
नदिया लाई अपने साथ, कितनी सारी रेत
भाग्य रथी भागीरथी ,भव के हरते पीर
जीवन सुखमय कर देता ,मन का निर्मल नीर
राज गए राजा गए ,चले गए सम्राट
जर्जर काया होत रही, पकड़ी सबने खाट
बारिश झर -झर बरस रही, सरिता हुई निहाल
तट सेतु अब टूट गये ,मैदानों में ताल
तू क्यों चिन्तारत हुआ ,चिंतामन है शिव
सावन होता हरा भरा ,हरियाता हर खेत
नदिया लाई अपने साथ, कितनी सारी रेत
भाग्य रथी भागीरथी ,भव के हरते पीर
जीवन सुखमय कर देता ,मन का निर्मल नीर
राज गए राजा गए ,चले गए सम्राट
जर्जर काया होत रही, पकड़ी सबने खाट
बारिश झर -झर बरस रही, सरिता हुई निहाल
तट सेतु अब टूट गये ,मैदानों में ताल
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