ज्योति रूप परमात्मा, द्वादश ज्योतिर्लिंग
आलोकित अंतर करे ,शिव मंदिर शिव लिंग
परम पिता परमात्मा ,माता पार्वती
महादेव दो वर हमें ,हो निर्मल मन विमल मति
लज्जा का आभूषण करुणा के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज ह्रदय मे वत्सलता गुणीयों का रत्न नियति भी लिखती है न बिकती हर चीज
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