सोमवार, 17 अक्तूबर 2016

माँ तेरी करुणा में बल है

माँ शारदे का हंस होता 
श्वेत सुन्दर और नवल है 
सत्य की होती प्रतीति 
ज्ञान का अमृत तरल है 

ज्ञान का गहरा सरोवर 
अंकुरित होते कमल है 
श्वेत वसना सौम्य मूर्ति 
माँ तेरी करुणा में बल है 

पंक भी होता है उर्वर
 शंख रहता सिंधु जल है
मान से जीवन मिलता 
अपमान में होता गरल है

सत्संग से जीवन खिलता 
सत्य तो होता अटल है 
संत की करुणा की छाया
संवेदना होती सजल है

अज्ञान में होता अहम् है 
ज्ञान सहज और सरल है
माँ तेरी कृपा से सृजन 
काव्य की धारा प्रबल है

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज