सोमवार, 24 दिसंबर 2018

खुशियो की खान

सपने है आंखों में
दिल मे अरमान है
अपनो का आँगन है
रहती मुस्कान है
तेरा भी मेरा है
मेरा भी तेरा है
मिल जुल के रहना ही
खुशियो की खान है

मौसम है सर्दी का
सूरज की धूप
महका है यौवन धन
निखरा है रूप
दस्तक है ठंडक की
मिलता न चैन
मुन्ना और मुन्नी अब
सो जाते गुप् चुप

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज