जीवन के अनुभव अनुपम हो चरणों की रज में चंदन हो
हो नवीन वर्ष भी प्रीत भरा प्यारा सा तुमको वंदन हो
अविचलित हो मन भाव भरे प्रतिपग पथ पर हो फूल धरे
रूप हर्षित हो और आकर्षण जीवन खुशिया का नंदन हो
नित नित लगते हो नव मैले जीवन के नभ पर खग खेले
सिंचित होती हो पौध नई कुदरत से मस्ती हम ले ले
हो नवीन वर्ष पर सोच नई अनुभूति पीड़ा गई गई
तृप्ति भी हर मन को छू ले जो गमगीन थे पल वे भूले
मूक रही वेदना कुछ बोले शोषित भी अपना मुख खोले
जीवन मे हो कुछ आकर्षण शब्दो को हरदम हम तोले
रहती मन में करुणा समता हो नवल वर्ष में पावनता
नित मानवता के हम सींचे बीज अंकुरित हो फुले फले
आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' ०७ जनवरी २०१९ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
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