मंगलवार, 1 जनवरी 2019

हो नवीन वर्ष पर सोच नई

जीवन के अनुभव अनुपम हो चरणों की रज में चंदन हो
हो नवीन वर्ष भी प्रीत भरा प्यारा सा तुमको वंदन हो
 अविचलित हो मन  भाव भरे प्रतिपग पथ पर हो फूल धरे
रूप हर्षित हो और आकर्षण जीवन खुशिया का नंदन हो 

नित नित लगते हो नव मैले जीवन के नभ पर खग खेले
सिंचित होती हो पौध नई कुदरत से मस्ती हम ले ले
हो नवीन वर्ष पर सोच नई अनुभूति पीड़ा गई गई
तृप्ति भी हर मन को छू ले जो गमगीन थे पल वे भूले

मूक रही वेदना कुछ बोले शोषित भी अपना मुख खोले
जीवन मे हो कुछ आकर्षण शब्दो को हरदम हम तोले
रहती मन में करुणा समता हो नवल वर्ष में पावनता
नित मानवता के हम सींचे बीज अंकुरित हो फुले फले


1 टिप्पणी:

  1. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' ०७ जनवरी २०१९ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/



    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।



    आवश्यक सूचना : रचनाएं लिंक करने का उद्देश्य रचनाकार की मौलिकता का हनन करना कदापि नहीं हैं बल्कि उसके ब्लॉग तक साहित्य प्रेमियों को निर्बाध पहुँचाना है ताकि उक्त लेखक और उसकी रचनाधर्मिता से पाठक स्वयं परिचित हो सके, यही हमारा प्रयास है। यह कोई व्यवसायिक कार्य नहीं है बल्कि साहित्य के प्रति हमारा समर्पण है। सादर 'एकलव्य'

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज