मंगलवार, 21 जुलाई 2020

शीश पर नील गगन

शिव से रति है काँप रही ,काँपे देव अनंग
जप तप और पुरुषार्थ कर, शिव का कर ले संग

शिव के चरणों भू मण्डल शीश पर नील गगन
बादल से है गरज रही शिव जी की गर्जन

शिव के शिखर गंग बही ,धरते हर दम ध्यान
शुध्द बने प्रबुध्द बने , योगी और हनुमान

शिव शम्भु को जपा करो बोलो हरदम ओम
पुलकित होती देह रही झंकृत है हर रोम

मन शिव का अनुरक्त हुआ शिव व्यापे इस देह 
शिव जी हर दम बांट रहे निर्मल निश्छल स्नेह


शिव सेवक भी पूज्य रहे , पूजित है परिवार
पल प्रतिपल है पूज्य रहा श्रध्दा का सोमवार




3 टिप्‍पणियां:

न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज