सोमवार, 6 जुलाई 2020

स्वदेशी से जीत गया मेरा वीर जवान

धोखे से हर युध्द लड़ा ,अब आये दुर्दिन
स्वदेशी से हार गया, चीनी ड्रैगन जिन्न

सीमाए अब रिक्त हुई लौट गया शैतान
स्वदेशी से जीत गया मेरा वीर जवान

स्वदेशी का मंत्र चला,दुश्मन की न खैर
सीमाए सुनसान हुई गरज रहा है शेर

सीमा से है भाग खड़ा उखड़ गये है टेंट
स्वदेशी से हांफ रही ,चीनी तोपे टैंक

स्वदेशी से शुध्द हुए ,पाये हमने बुध्द
हिंसक तेवर चला गया टला अभी है युध्द

एक देश परतंत्र  रहा एक देश गणतंत्र
एकमेव जब राष्ट्र रहा स्वदेशी का मन्त्र

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज