द्वापर में बल भद्र हुए ,शेष नाग अवतार
हे धरणी-धर नमो नम,हल का दे आधार
हे धरणी-धर नमो नम,हल का दे आधार
हल में रहता हल है ,हल देता है फल
क्यों तू हल को छोड़ रहा ,हल बिन तू निर्बल
बल होना पर्याप्त नहीं ,बल शालीन अनमोल
शालीनता बिन बल रहा ,यह तन मन बेडौल
बल में रहता युध्द नहीं ,बल रहता है शुध्द
शुध्द बुध्द बलराम रहे ,निर्बल होता क्रुध्द
हल बैलो में कर्म रहा ,गो गीता में धर्म
धर्म कर्म बिन शून्य रहा ,रहा धर्म में मर्म
बल बिन जीवन व्यर्थ रहा ,रहे व्यर्थ उपदेश
निर्बल का दल क्या करे ,छोड़े मृग दल देश
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