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स्नेह कहा रुकता है भेद कहा छुपता है
महंगी पडी होशियारी ,महंगी पडी मूकता है
कोलाहल गति को प्रगति को रोकता है
अकैला एकांत में मन ही मन सोचता है
अकैला एकांत में मन ही मन सोचता है
छुपाये नही छुपी मानसिकता कुरुपता है
मन ही मन कुढ़ते है ,भाव कहा जुडते है
सॅकरी हुई है गलिया ,फुटपाथ सिकुडते है
कायराना आचरण है पलायन विमुखता है
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