ओझल हुई राहे तो संकरी होती है गलिया
संकीर्णता छा गई मुरझाई हुई कलियाँ
आस्थाए आहत हुई पतझड़ भी आ गई
मौसम ने ली करवट ,होली मन भा गई
रंगों की पिचकारी फिसला है यह छलिया
भीलो की टोली है, हाटों में होली है
महुए की मादकता ,रंगों ने घोली है
महका है गोरा तन ,बहकी हुई पायलिया
संकीर्णता छा गई मुरझाई हुई कलियाँ
आस्थाए आहत हुई पतझड़ भी आ गई
मौसम ने ली करवट ,होली मन भा गई
रंगों की पिचकारी फिसला है यह छलिया
भीलो की टोली है, हाटों में होली है
महुए की मादकता ,रंगों ने घोली है
महका है गोरा तन ,बहकी हुई पायलिया
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