आँखों के आंसू है ,भावो का पावन जल
झरता हुआ झरना बहता है कल -कल
आदमी का आचरण कहा हुआ निश्छल
राहे हुई पथरीली नहीं हुई समतल
थके हुए सपनो के हाथो में थमा हल
गुजरती रही जिंदगी गुजरतारहा पल -पल
जीवन में अंधे मौड़ है हालात के दल -दल
आचमन करे मन संकल्प हुए निर्बल
हुई सुबह कातिलाना नहीं कही हल- चल
दे दे कोई अपनापन दे दे कोई संबल
आदमी का आचरण कहा हुआ निश्छल
राहे हुई पथरीली नहीं हुई समतल
थके हुए सपनो के हाथो में थमा हल
गुजरती रही जिंदगी गुजरतारहा पल -पल
जीवन में अंधे मौड़ है हालात के दल -दल
आचमन करे मन संकल्प हुए निर्बल
हुई सुबह कातिलाना नहीं कही हल- चल
दे दे कोई अपनापन दे दे कोई संबल
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