राहे कांटो से भरी हुई
खुशिया दुखो से डरी हुई
कुंठित होती अभिलाषा है
कुंठित होती अभिलाषा है
तृष्णाए मन में हरी हुई
हुए स्वप्न पखेरू है घायल
हुए स्वप्न पखेरू है घायल
और नदी हिलोरे लेती है
जहरीली होती हुई फसले
फसले पोषण कहा देती है
रेतीले सुख बहे जाते
रेतीले सुख बहे जाते
आशा जीवन में मरी हुई
यहाँ मिला सत्य को निर्वासन
यहाँ मिला सत्य को निर्वासन
सज्जनता दुःख सहती है
नारे नफ़रत से भरे हुए
नारे नफ़रत से भरे हुए
दानवता विष को बोती है
यहाँ दया दीन पर नहीं आई
यहाँ दया दीन पर नहीं आई
निर्धनता मन में भरी हुई
यहाँ मिला दीप से काजल है
निर्बल का होता मृग दल है
हुआ दीप शिखा से उजियारा
उजियारे में होता बल है
रोशन होता है अंधियारा
बिंदिया मांथे पे धरी हुई
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