प्रकृति में शक्ति है शक्ति में समाहित शिव है
शक्ति के बिना शरीर ही नहीं शिव भी निर्जीव है
शिव की पूजा में आस्था है अभिषेक है आचमन है
शक्ति पूजा में भक्ति है प्रार्थना है शुध्द चित्त और मन है
रहे प्रकृति सुरक्षित और रहे निर्मल पर्यावरण है
शिव पूजा में हमारी होती आस्थाए कम है
मनो मस्तिष्क में पले कई भ्रम है
शिव शक्ति की संयुक्त पूजा में प्रकृति का संरक्षण है
पुरुषार्थ है बल है और परिश्रम है
फिर क्यों हुई विनाश लीला दिलो में गम और आँखे नम है
येन केन प्रकारेण हमने प्रकृति को सताया है
प्रकृति को सता कर शिव शम्भू और केदार को किसने पाया है
इसलिए शिव और शक्ति की पूजा के नवीन मानदंड अपनाओ
प्राकृतिक संसाधनों को बचाओ
शिव और शक्ति को तन मन में बसाओ
प्रकृति में समाहित बद्री और केदार है
ईश्वर उञ्चाइयो में ही नहीं गहराईयों में भी है
नैया की पतवार है
परम सत्ता के बल पर टिका हुआ यह संसार है
शक्ति के बिना शरीर ही नहीं शिव भी निर्जीव है
शिव की पूजा में आस्था है अभिषेक है आचमन है
शक्ति पूजा में भक्ति है प्रार्थना है शुध्द चित्त और मन है
रहे प्रकृति सुरक्षित और रहे निर्मल पर्यावरण है
शिव पूजा में हमारी होती आस्थाए कम है
मनो मस्तिष्क में पले कई भ्रम है
शिव शक्ति की संयुक्त पूजा में प्रकृति का संरक्षण है
पुरुषार्थ है बल है और परिश्रम है
फिर क्यों हुई विनाश लीला दिलो में गम और आँखे नम है
येन केन प्रकारेण हमने प्रकृति को सताया है
प्रकृति को सता कर शिव शम्भू और केदार को किसने पाया है
इसलिए शिव और शक्ति की पूजा के नवीन मानदंड अपनाओ
प्राकृतिक संसाधनों को बचाओ
शिव और शक्ति को तन मन में बसाओ
प्रकृति में समाहित बद्री और केदार है
ईश्वर उञ्चाइयो में ही नहीं गहराईयों में भी है
नैया की पतवार है
परम सत्ता के बल पर टिका हुआ यह संसार है
aap ka lekh aacha lga prakrtik snsadhno ko bchao aap ka sndesh jnklyani hanin
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