मौसम की गर्मी से ,मिली नहीं ऊष्मा है
पसीने से लथ पथ है, टूटा हुआ चश्मा है
हाथो में हंसिया है, महँगी हुई खुशिया है
मिली नहीं हल धर को ,सपनों की सुषमा है
तन मन में पीड़ा है ,नयनो में नीर
फसलो के पकने पर जगती तकदीर
बो देना खेतो में ,थोड़ी सी पीर
जल होगा मरुथल में, होगा तू वीर
भींगी हुई आँखों में ,बहुत दर्द बाकी है
प्यासी हुई नजरे है, नहीं कही साकी है
सूरज की गर्मी है ,कर्मी ही धर्मी है
किस्मत ने पौरुष की, कीमत कहा आंकी है
पसीने से लथ पथ है, टूटा हुआ चश्मा है
हाथो में हंसिया है, महँगी हुई खुशिया है
मिली नहीं हल धर को ,सपनों की सुषमा है
तन मन में पीड़ा है ,नयनो में नीर
फसलो के पकने पर जगती तकदीर
बो देना खेतो में ,थोड़ी सी पीर
जल होगा मरुथल में, होगा तू वीर
भींगी हुई आँखों में ,बहुत दर्द बाकी है
प्यासी हुई नजरे है, नहीं कही साकी है
सूरज की गर्मी है ,कर्मी ही धर्मी है
किस्मत ने पौरुष की, कीमत कहा आंकी है
बेहतरीन और सुन्दर प्रस्तुतिकरण लिये धन्यबाद.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर..
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