नीले नीले आसमा पर, लालिमा छाई है
सूरज की मेहनत ने, अरुणिमा पाई है
पौरुष से किस्मत है, बजती शहनाई है
संध्या ने सूरज की, तृष्णा बुझाई है
अस्त हुये दिनकर ने ,शीतलता पाई है
निशा के आँचल में ,निंदिया गहराई है
खग -दल भी गुम सुम है, पवन सुखदायी है
उग आई उषा है ,सुबह जग -मगाई है
प्रियतम की आँखों में, दिखती सच्चाई है
प्यारा सा जीवन जल, मृदुलता पाई है
भावनाये बहकी है ,मेहंदी रंग लाई है
प्रीती से जीवन है ,हुई ईर्ष्या पराई है
भर आई आँखे है, गम की गहराई है
गागर में सागर है ,सरिता तट आई है
भावो के आँगन में ,पाया है अपनापन
सपनो में अपनों की ,झलकिया पाई है
बहुत ही बेहतरीन और सुन्दर प्रस्तुती ,धन्यबाद।
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