खुल कर के सत्कार
ऐसा जो भी शख्स रहा
उसका सद व्यवहार
न ही उसके दोस्त बने
जाने न हम तुम
जितना वह मासूम रहा
उतना ही गुमसुम
उखड़ी उनकी साँस रही
उखड़ा उनका दम
फिर भी वह सिगरेट पिये,
खांसी और बलगम
कोरोना का ग्रास बना
ऐसा एक इंसान
सुबह न तो सैर करे
व्यसन करे तमाम
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