शनिवार, 26 दिसंबर 2020

ऐसा जो भी शख्स रहा


खुल करके सबसे बात करे 
खुल कर के सत्कार
ऐसा जो भी शख्स रहा 
 उसका सद व्यवहार

न ही उसके दोस्त बने
 जाने न हम तुम
जितना वह मासूम रहा 
उतना ही गुमसुम

उखड़ी उनकी साँस रही 
 उखड़ा उनका दम
फिर भी वह सिगरेट पिये,
खांसी और बलगम

कोरोना का ग्रास बना 
 ऐसा एक इंसान
सुबह न तो सैर करे
 व्यसन करे तमाम


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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज