रविवार, 6 दिसंबर 2020

इस युग मे महाराज

तू जिससे है खेल रहा 
वह जलती हुई आग
होता क्यो है भग्न हृदय
सच से रख अनुराग

हर पल सारे मूल्य गिरे
सम्मुख दिखता काल
महामारी से देश घिरा 
फिर भी है हड़ताल

सत के पथ पर कौन रहा 
इस युग मे महाराज
जिसने जितने मंत्र जपे 
उसमे उतने  राज

जब संकट मे देश रहा
चले गये परदेश
कोरोना में लौट रहे 
वापस अपने देश

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज