सम्वेदना का भाव भरा
खरा रहा इन्सान
जीवित जो आदर्श रखे
पूरे हो अरमान
जो पीकर मदमस्त हुआ
हुआ व्यर्थ बदनाम
बाधाएँ हर और खड़ी
जीवन मे अपमान
टपका जिसका स्वेद नहीं
उसका न संसार
जीवन हैं कोई रेत नहीं
जीवन का कुछ सार
जब ज्योति से ज्योत जली जगता है विश्वास जीवन में कोई सोच नहीं वह करता उपहास होता है जो मूढ़ मति जाने क्या कर्तव्य जिसका होता ध्येय नहीं उस...
सुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद महोदय
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
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