Srijan
सोमवार, 28 अक्टूबर 2024
जीवित जो आदर्श रखे
सम्वेदना का भाव भरा
खरा रहा इन्सान
जीवित जो आदर्श रखे
पूरे हो अरमान
जो पीकर मदमस्त हुआ
हुआ व्यर्थ बदनाम
बाधाएँ हर और खड़ी
जीवन मे अपमान
टपका जिसका स्वेद नहीं
उसका न संसार
जीवन हैं कोई रेत नहीं
जीवन का कुछ सार
3 टिप्पणियां:
सुशील कुमार जोशी
28 अक्टूबर 2024 को 10:02 pm बजे
सुन्दर
जवाब दें
हटाएं
उत्तर
जवाब दें
rajendra sharma
29 अक्टूबर 2024 को 12:20 am बजे
धन्यवाद महोदय
जवाब दें
हटाएं
उत्तर
जवाब दें
Onkar
29 अक्टूबर 2024 को 11:09 pm बजे
बहुत सुन्दर
जवाब दें
हटाएं
उत्तर
जवाब दें
टिप्पणी जोड़ें
ज़्यादा लोड करें...
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
दीप्ति दिखती नहीं है
सखिया करती हास ठिठौली
जिव्हा खोली कविता बोली कानो में मिश्री है घोली जीवन का सूनापन हरती भाव भरी शब्दो की टोली प्यार भरी भाषाए बोले जो भी मन...
जीवित जो आदर्श रखे
सम्वेदना का भाव भरा खरा रहा इन्सान जीवित जो आदर्श रखे पूरे हो अरमान जो पीकर मदमस्त हुआ हुआ व्यर्थ बदनाम बाधाएँ हर और खड़ी...
नव जीवन है प्राण
अब रिश्तों में जान नहीं रहा नहीं है स्नेह सम्वेदना से शून्य हुए गहरे है संदेह जीवन से अब चला गया कुदरत से अनुराग संबंधो की शाख ...
सुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद महोदय
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएं