जिन्दगी
के हालात बहुत हुये विचित्र
है
दुश्मनो
के रूप मे लगते यहा पर मित्र
है
हम
जो समझे है जहाॅ तक अापको
रेशमी
रूमाल मे लिपटा हुअा एक इत्र
है
अाॅखो
से अाॅसुअो की झडी अाज भी कायम
है
स्म्रतिया
अापकी कितनी कोमल है मुलायम
है
जीवन
मे हालात चाहे कितने भी बदल
जाये
अाप
से होगी सुबह अाप ही पर होगी
सायं है
ठिठुरता
अासमान अौर ठिठुरती जमीं है
अाज
मौसम मे छाई हुई कुछ नमी है
बैचेन
हुई भावनाये,अौर
निकल गये अाॅसू
क्या
भरोसे के लायक कोई अादमी है
?
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