सोमवार, 3 दिसंबर 2012

सस्ते थे दिन

-->
-->
सस्ते जमााने मे
सस्ते थे दिन
गाॅवो की पगडंडी
पगडंडी रंगीन

सावन न तरसा था
अासमान बरसा था
हल थे अौर बक्खर थे
हाथो मे फरसा था
भक्तो के कीर्तन थे,
सब कीर्तन तल्लीन

घने घने थे साये 
स्नेहिल पल थे पाये
लौरी अौर किस्से थे,
किस्से थे अपनाये
दादी की अाॅखो मे
अाॅसू थे गमगीन


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आँगन का दीपक

जहा दिव्य हैं ज्ञान  नहीं  रहा  वहा  अभिमान  दीपक गुणगान  करो  करो  दिव्यता  पान  उजियारे  का  दान  करो  दीपक  बन  अभियान  दीपो ...