सावन मन भावन हुआ ,मन मे उठे विचार
मन का मयुरा नाच रहा,दोहे ले आकार
शिव पूजा से ईश मिले,मिटते मन अवसाद
सत्य सनातन शिव रहे,तज दे भय प्रमाद
निर्झर,नदिया भरे रहे,वन मे रहे बहार
चातक पॅँछी ताक रहा,बूंद ,बारिश,बौछार
वायु मे हुई घनी नमी,मिट्टी देती गन्ध
अमर्यादित हो रहे,नदियो के तटबन्ध
कावडिये के चले चरण,शिव मंदिर की ओर
हे शिव शंभु बांधिये,निर्मल पावन डोर
शिव की कर लो साधना,मात शिवा का ध्यान
सब जीवो मे शिव रहे, शिव देते वरदान
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें