खेलो से संसार भरा,कर खेलो से प्यार
जो खेलो से जुडा नही ,जीवन है निस्सार
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ओलम्पिक के गेम मे ,चला है ऐसा दौर
खिलाडी और कोच चले ,अब लंदन की और
ओलम्पिया से शुरु ,ओलम्पिक का गेम
खेलो मे उन्माद रहा ,लग जाये न ब्लेम
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ह्रदय में संताप रहे न ,रहे न कोई शोक
हार जीत से खेल चला है ,मन की ईर्ष्या रोक
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हार जीत से खेल चला है ,मन की ईर्ष्या रोक
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मानवीय सदभावना ,तू खेलो से सीख
यश अपयश तो विधी रहे ,ज्यादा तू न चींख
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आंसू से नदिया भरी ,दुख सागर असीम
रहे खेल की भावना,क्यो होता गमगीन
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नियति मे है खेल भरा ,नियति हाथो खेल
हार जीत सी चली यहाँ ,छुक छुक करती रेल
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खेलो मे भी खेल हुआ ,कैसी रेलम-पेल
खेलो के आयोजन मे ,चले गये वो जेल
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