लहराता हुआ जल है ठहरा हुआ आकाश है
बिखरे हुई रिश्तो में हुई अपनों की तलाश है
प्रेमाकुल पायलिया पर मिटता विश्वास है
जीवन के चारो ओर फिर बिखरा विनाश है
बिगड़तेहुये हालात को लोगो ने बिगाड़ा है
गुलशन हुए इस घर फिर किसने उजाड़ा है
चाहो की राहो को मिली नहीं राहत है
आहत हुई भावनाए ,पढ़ा दर्द का पहाड़ा है
बिखरे हुई रिश्तो में हुई अपनों की तलाश है
प्रेमाकुल पायलिया पर मिटता विश्वास है
जीवन के चारो ओर फिर बिखरा विनाश है
बिगड़तेहुये हालात को लोगो ने बिगाड़ा है
गुलशन हुए इस घर फिर किसने उजाड़ा है
चाहो की राहो को मिली नहीं राहत है
आहत हुई भावनाए ,पढ़ा दर्द का पहाड़ा है
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