अंधियारे में
जलता ,आस्था का दीप है
आस्था
में पूजा है ,ईश्वर समीप है
भक्ति
में शक्ति है ,शक्ति में है ऊर्जा
ऊर्जा
है भीतर तक ,आत्मा प्रदीप्त है
तन मन
के भीतर ही ,ईश्वर की खोज है
आत्मा में पावनता ,अंतस में ओज है
तन मन को चिंतन को ,कर निर्मल जीवन को
चिंतन है चित में ही, कीर्तन में मौज है
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