रिश्तो का इतिहास रहा ,रिश्तो का भू -गोल
रिश्ते लाते प्रीत रहे ,रिश्ते मीठे बोल
रिश्तो की है रीत रही ,रिश्तो के रिवाज
रिश्ते नाते टूट रहे ,निकली न आवाज
भावो से जो रिक्त रहा रिश्तो से अनजान
रिश्तो की गहराई को ,मानव तू पहचान
खूशबू से भरपूर रहा ,रिश्तों का अहसास
जो नजदीक है दूर हुए ,दूर रहते वो पास
रिश्तो से कुछ आस रही , मन लगती है ठेस
अपनो से तो पीर मिली , प्रीत मिली परदेस