कर्मठता का मान करो , कर्मो का सत्कार
जिसमे थी सामर्थ्य नही ,मिली उन्हें है छूट
दानव दल को बाँट रहा, अमृत घट के घूँट
भक्ति का अभिमान रहा , शक्ति से अनजान
क्यो उसका अपमान किया , जिसमे था भगवान
क्यो?इतना पाखण्ड रहा , क्यो इतना है पाप
तू अपने दुष्कर्मो को , नाप सके तो नाप
राम नाम दिन रात जपा, बना नही है योग
सच के होते साथ नही , ऊँचे ऊँचे लोग
वाह
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