सेवा का जिसमे भाव भरा
करूणा का पाया चन्दन है
करुणा से पाई मानवता
मानव सेवा का वन्दन है
मानव सेवा का वन्दन है
तन दुर्बल होकर मरा मरा
मन मूर्छित होकर डरा डरा
मन मूर्छित होकर डरा डरा
बचपन ने खोई कोमलता
फूटे सपनों के क्रंदन है
फूटे सपनों के क्रंदन है
लिए घाव गरीबी हाथो मे
बूढी माँ रहती लातो मे
बूढी माँ रहती लातो मे
झुग्गी रोती है रातो मे
सपनों मे रहता नंदन है
सपनों मे रहता नंदन है
सुख रहा सदा ही भावो में
वह तृप्त रहा अभावो में
वह तृप्त रहा अभावो में
दुःख महलो में भी पलते है
होते सुविधा में बंधन है
होते सुविधा में बंधन है