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रच रही नव व्याकरण
चाँद तारे से गगन है दीपिका से है किरण दीपिका जब न जली तो चंद्र करता तम हरण जब अंधेरा हो रहा हो जगत सारा सो रहा हो च...

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ऊँचे पर्वत मौन खड़े, जग में सीना तान इनसे नदिया नीर बहे, उदगम के स्थान गहरी झील सी आँख भरी, बोझिल है आकाश पर्वत टूट कर रोज गिरे, जंगल की है ...
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गीता एक ग्रंथ नहीं एक विचार है गीता विचार ही नहीं जीवन दर्शन है गीता कृष्ण का अर्जुन को दिया अलौकिक ज्ञान है अलौकिकता स...
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पेड़ पर रहते है पंछी पेड़ पर और कौन ठहरा चाहे जैसा घर बना लो पेड़ पर कुटिया बना लो खिलखिलाये जिंदगी भी य़ह धरातल हो ...