रविवार, 24 जून 2018
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स्वारथ की घुड़दौड़
चू -चु करके चहक रहे बगिया आँगन नीड़ जब पूरब से भोर हुई चिडियों की है भीड़ सुन्दरतम है सुबह रही महकी महकी शाम सुबह के ...
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जीवन में खुश रहना रखना मुस्कान सच मुच में कर्मों से होतीं की पहचान हृदय में रख लेना करुणा और पीर करुणा में मानवता होते भग...
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जिव्हा खोली कविता बोली कानो में मिश्री है घोली जीवन का सूनापन हरती भाव भरी शब्दो की टोली प्यार भरी भाषाए बोले जो भी मन...
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देखते हम ध्रुव तारा ब्रह्म है पर लोक प्यारा ज्योतिष में विज्ञान है अब चंद्र पर प्रज्ञान है देश अब आगे बढ़ा है चेतना के न...