शुक्रवार, 10 मार्च 2023

आये थे मेहमान

दिन  में  ऐसी  नींद  लगी, आये  थे  मेहमान 
जितने भी  थे  ले  उड़े  , लाखों  का  समान 

करवट  लेकर  नहीं  उठा, हुआ  भले  ही  शोर 
चूल्हा  बेलन  चुरा  गये, ले  गये  आटा  चोर

घर  के  आंगन बिछी  मिली, रस्सी  की  एक  खांट
 अम्मा  जी  तो  चली  गई , बाबू जी  के ठाट

बरसों  से जो उठा  रहा,  निकम्म्मो का  बोझ
जिनका कुछ सम्मान नहीं , करते  है वो मौज 


बुधवार, 8 मार्च 2023

जिये मरे जनहित

जिसको  हरदम  याद  किया  
है  दिल  के  जो  पास 
जीवन  कोई  खेल  नहीं
 प्रीति  का  अहसास

मेहंदी  रचती  हाथ  रही
 कितना  गहरा  रंग 
होली  खेले  रंग  नये
 होली  में  हुडदंग 

जीवन  के हैं  रंग  कई 
रंग  बिरंगे  बोल 
तू  इक  ऐसा  रंग  लगा
जो  अनुपम  अनमोल 

कितने  सारे  रंग  रहे
कितने  सारे  रूप 
रंगों  से  तु प्रीत  लगा
 बैठा  है  क्यों? चुप 

हृदय  किनारे  प्रीत  रहे
हृदय  बीच  नवनीत 
होली  मन का  मेल  हरे
जिये  मरे  जनहित 

सच को  कोई  आँच  नहीं 
जीवन मे  आल्हाद
होलिका  की  देह  जली 
नहीं  जला प्रहलाद 

आँगन का दीपक

जहा दिव्य हैं ज्ञान  नहीं  रहा  वहा  अभिमान  दीपक गुणगान  करो  करो  दिव्यता  पान  उजियारे  का  दान  करो  दीपक  बन  अभियान  दीपो ...