शनिवार, 9 मार्च 2019

यहाँ जाग रहा है अणु अणु

यह कंकड़ पत्थर है शंकर 
  हर कण में रहते है विष्णु
  है संतुलन उनके भीतर
  कृष्णा की प्रियतम है वेणु 

  यह प्रीत रीत ही ऐसी है
  भावो से भगवन आये है
  मीरा की भक्ति प्रीत रही  
राधा ने  सचमुच पाये है
  भक्ति की जलती ज्योत रही  
यहाँ जाग रहा है अणु अणु

रच रही नव व्याकरण

चाँद  तारे  से  गगन  है     दीपिका  से  है किरण   दीपिका जब न जली तो चंद्र  करता तम हरण  जब  अंधेरा  हो  रहा  हो   जगत  सारा  सो रहा  हो   च...