मन की खुशियां कहा गई ,कहा गई मुस्कान
अपने थे जो चले गये ,कहा है अपनापन
रस जीवन मे नही बचा, खोया है बचपन
जिसके मन मे स्नेह नही ,वहा नहीं भगवान
जो होता है तरल हृदय ,वह सबसे धनवान
एक प्यारी सी याद रही यादो के बीज
प्यारा था जो नही रहा रह गया है नाचीज़
कहा पे सच्चा प्यार रहा, निश्छल सी मुस्कान
मासूम बचपन सिसक रहा ,जीवन है श्मसान