बुधवार, 13 सितंबर 2023

होते भगवान

जीवन में  खुश  रहना 
रखना  मुस्कान 
सच मुच  में  कर्मों  से 
होतीं की  पहचान 
हृदय में रख लेना  
करुणा  और  पीर 
करुणा  में  मानवता
होते  भगवान

आते  है  जाते  हैं  
दुनिया  मे  लोग 
कितने है दुखियारे
 कितने  है  रोग 
मीलों  तक  मुश्किलें
 काँटों  का  पथ 
 सुख की  हो  बूंदे  तो  
प्यारा  संजोग 

शनिवार, 26 अगस्त 2023

अब चंद्र पर प्रज्ञान है








देखते  हम  ध्रुव  तारा  ब्रह्म  है  पर लोक  प्यारा

ज्योतिष  में  विज्ञान  है अब  चंद्र  पर  प्रज्ञान  है

देश  अब  आगे  बढ़ा  है चेतना  के  नभ  चढ़ा है

 चल पड़े अरमान  है अब चंद्र  पर  प्रज्ञान  है 

 मेघ तक  मेघा पुरस्कृत  अब  हुई  हिंसा  तिरस्कृत 

 अब  लौटता  विहान है अब  चंद्र  पर  प्रज्ञान  है

हर  दिशा  और हर पटल पर  स्वदेश का अभिमान  है

अब  चंद्र  पर  प्रज्ञान  है  अब  चंद्र  पर  प्रज्ञान  है

ईश से  अब  इसरो है  वेद और  विज्ञान  है 

अब  चंद्र  पर  प्रज्ञान  है  अब  चंद्र पर प्रज्ञान  है

गर्व से  मस्तक उठा है  अहंकारी  अब  झुका  है 

हुआ सन्न  पाकिस्तान है अब चंद्र  पर  प्रज्ञान  है


मंगलवार, 18 जुलाई 2023

रहा नहीं नज़रो का डर

रिश्तो का  आकाश  रहा  
रिश्तो  का  पाताल 
रिश्तों  से  क्यो  दूर  हुआ 
रिश्तों  की  पड़ताल 

बुजुर्गों की  छांव  नही 
रहा नहीं  नजरों  का  डर 
दिल  के  रिश्ते  कहा  गये
नहीं  रहे  है  अब  वो  घर

रिश्ते  रस  से  रिक्त  हुए 
अब  रिश्तों  में  खोट 
रिश्तों  से  है  घाव मिला 
मिली  चोट  पर  चोट 

मन  के  भीतर  प्रेम  नहीं 
केवल  है  व्यवहार 
अब  निर्मम इस  रोग  का 
नहीं  रहा  उपचार 


गुरुवार, 29 जून 2023

मंज़िल ही पास आती



कुछ  करने  अभिलाषा  जिसके है  पास 
सुख  दुख  की  चिंता  न  होता  उल्लास 
धरता  है  प्राणों  में  धीरज  का  बीज़ 
उड़  जाये  जीवन  मे  चाहे  उपहास 

कर्मों  का  योगी  है  बिल्कुल  गुमनाम 
पद  यश  की  आशा  न होता  निष्काम 
भगता न  वह  पथ  से कर्मों का  वीर 
मंजिल  ही  पास  आती  उसके  ही  धाम




निकलेगी पीर


         
           दीपक  से  उजियारा 
               बादल से नीर 
          पेड़ों  से  फल  पाओ
              पर्वत  से  धीर 
           भर लेना  साँसों  में 
               थोड़ा  सा  ग़म 
              गूंजेगा  नभ  सारा 
                 निकलेगी  पीर 


बुधवार, 28 जून 2023

जो कुदरत पे हारा है



 

तलहटी पर्वत की
 निर्झर  की  धारा  है
धारा से  सुन्दरता 
नदिया तट प्यारा  है  
कुदरत  मे  रह  कर  जो 
हर  पल  को  जीता  है 
जीवन  तो  उसका  है 
कुदरत  पे वारा  है 

बादल  से  नभ  उतरे  
छोटा  सा  गांव 
तलहटी  पर्वत की 
ठण्डी  सी  छांव 
बिछोना  धरती  पर  
मख मल  सी  दूब 
जीवन हो जल जैसा  
जिसमे ठहराव





जीवन  का  अमृत  तो  
उसने  ही  पाया  है 
नित  नई सरगम का  
गीत  यहाँ  गाया  है 
गीतों   में  हर  ग़म  है 
संगीत  में  सरगम  है 
सरगम से सूर  सजा
मन  को  महकाया  है 

अपना है अंदाज


ऊँची  जिसकी  सोच  रही,   ऊँची  है  परवाज़ 
मूल्यवान मौलिक  वहीं, अपना है  अंदाज 

कर्मों  से बोल  रहा  ,मुख से  न  वाचाल 
मरु थल में नीर मिला , खोदे  जो  पाताल 

उसका  कोई  मूल्य  नहीं,  जो  व्यक्तित्व  विहीन 
अपने दुर्गुण  दूर  करे ,  सुसंस्कृत  कुलीन 

होते भगवान

जीवन में  खुश  रहना  रखना  मुस्कान  सच मुच  में  कर्मों  से  होतीं की  पहचान  हृदय में रख लेना   करुणा  और  पीर  करुणा  में  मानवता होते  भग...