कुल्हड़ की
वह चाय नहीं है
मैथी का न साग
चूल्हे में
वह आग नहीं
कंडे की न राख
माटी की सुगन्ध
है बिछड़ी
कहा गई वह
प्यारी खिचड़ी
जितने भी थे
रिश्ते बिखरेलगे स्वार्थ के दाग
कुल्हड़ की वह चाय नहीं है मैथी का न साग चूल्हे में वह आग नहीं कंडे की न राख माटी की सुगन्ध है बिछड़ी कहा गई वह प्यारी खिचड़ी जितने भी ...