शनिवार, 7 सितंबर 2024

निर्मल मन मे ईष्ट


तू  अपने  ही  दोष  मिटा 
सबका  करो  सुधार 
गुणी  हृदय  है  बहुत  बड़ा 
गुणता  रही  उदार 

 गुणीजन  के  ही  साथ  रहो 
  बन  जाओ  गुणवान 
गुण  मिलना है  बहुत  कठिन 
अवगुण  है  आसान 


गुण  के  हाथों  जीत  रही  
गुण  की  रही  है  प्रीत 
निश्चल निर्मल  भाव  जगा 
सबका  होगा  हित 

निश्चल  मन  विश्वास  रहा 
निर्मल  मन  मे  ईष्ट 
सबके जो  संताप  हरे 
होता  अति  विशिष्ट 





सोमवार, 29 जनवरी 2024

न बिकती हर चीज



लज्जा का आभूषण
करुणा  के बीज
कौशल्या सी नारी
तिथियों मे तीज 
ह्रदय मे वत्सलता 
गुणीयों का रत्न 
 नियति भी लिखती है
 न बिकती हर चीज 

वनवासी साँसों मे

दिखते है पर्वत तो दिखती है खाई
पथ होते पथरीले होती कठिनाई
वनवासी साँसों मे रहते रघुराई
भरत मन हो तो लक्ष्मण सा भाई

चिडियो की बोली भी गाती है नाम
कंकड़ और पत्थर मे रहते है राम
पत्थर जो होता है निष्ठुर निश्प्राण 
शिल्पी ने रच डाले उसमे भी श्याम 

सीता जी तप होती

जीवन की पाती मे 
पाती मे राम
कबीरा भी यह बोले
शुभ कर ले काम
तुलसी चौपाई
जो कुछ न कह पाई
कहता है वह जीवन
जीवित आख्यान

लक्षमण की उर्मिला
उर की है पीर
सीता जी तप होती
टिकता है धीर
खोता है जब  संयम
मन का कोई तीर
खींची  है तब रेखा
दिखता कोई वीर 


रविवार, 28 जनवरी 2024

मन की हो अयोध्या


नदिया सा मीठा जल
महकी हुई शाम 
खगदल से गुंजीत हो
कण कण मे राम
पल पल मे खुशियों हो
हर दम मुस्कान 
मन की हो अयोध्या
जीवन निष्काम


चन्दन सा चिंतन हो
सुन्दर हर काम
कुंदन सा जीवन हो
जीवित हो धाम
तन  मन हो हर्षाया
ऐसा निर्माण
मन मे ही  मंदिर हो
मंदिर मे राम

बुधवार, 13 सितंबर 2023

होते भगवान

जीवन में  खुश  रहना 
रखना  मुस्कान 
सच मुच  में  कर्मों  से 
होतीं की  पहचान 
हृदय में रख लेना  
करुणा  और  पीर 
करुणा  में  मानवता
होते  भगवान

आते  है  जाते  हैं  
दुनिया  मे  लोग 
कितने है दुखियारे
 कितने  है  रोग 
मीलों  तक  मुश्किलें
 काँटों  का  पथ 
 सुख की  हो  बूंदे  तो  
प्यारा  संजोग 

शनिवार, 26 अगस्त 2023

अब चंद्र पर प्रज्ञान है








देखते  हम  ध्रुव  तारा  ब्रह्म  है  पर लोक  प्यारा

ज्योतिष  में  विज्ञान  है अब  चंद्र  पर  प्रज्ञान  है

देश  अब  आगे  बढ़ा  है चेतना  के  नभ  चढ़ा है

 चल पड़े अरमान  है अब चंद्र  पर  प्रज्ञान  है 

 मेघ तक  मेघा पुरस्कृत  अब  हुई  हिंसा  तिरस्कृत 

 अब  लौटता  विहान है अब  चंद्र  पर  प्रज्ञान  है

हर  दिशा  और हर पटल पर  स्वदेश का अभिमान  है

अब  चंद्र  पर  प्रज्ञान  है  अब  चंद्र  पर  प्रज्ञान  है

ईश से  अब  इसरो है  वेद और  विज्ञान  है 

अब  चंद्र  पर  प्रज्ञान  है  अब  चंद्र पर प्रज्ञान  है

गर्व से  मस्तक उठा है  अहंकारी  अब  झुका  है 

हुआ सन्न  पाकिस्तान है अब चंद्र  पर  प्रज्ञान  है


निर्मल मन मे ईष्ट

तू  अपने  ही  दोष  मिटा  सबका  करो  सुधार  गुणी  हृदय  है  बहुत  बड़ा  गुणता  रही  उदार   गुणीजन  के  ही  साथ  रहो    बन  जाओ  गुणवान  गुण  ...