सोमवार, 29 जनवरी 2024

न बिकती हर चीज



लज्जा का आभूषण
करुणा  के बीज
कौशल्या सी नारी
तिथियों मे तीज 
ह्रदय मे वत्सलता 
गुणीयों का रत्न 
 नियति भी लिखती है
 न बिकती हर चीज 

1 टिप्पणी:

अपनो को पाए है

करुणा और क्रंदन के  गीत यहां आए है  सिसकती हुई सांसे है  रुदन करती मांए है  दुल्हन की मेहंदी तक  अभी तक सूख न पाई क्षत विक्षत लाशों में  अपन...