एक विचार है
गीता विचार ही नहीं
जीवन दर्शन है
गीता कृष्ण का अर्जुन को दिया
अलौकिक ज्ञान है
अलौकिकता से ही व्यक्ति की
वास्तविक पहचान है
गीता भक्ति की गंगा है
ईश्वरीय शरणागति है
बढ़ जाता है अहंकार तो
मारी ज़ाती मति है
गीता संसार को कर्म की महत्ता बताती है
कर्म पथ पर ही चलकर
व्यक्ति की अस्मिता खुद को पाती है
गीता को पढ़ो समझो जानो कुछ करो
सदा रहो चैतन्य सक्रिय
भीतर मे बसी जड़ता को हरो
जीवन जहा जहा भी
किंकर्तव्यविमूढ़ता नजर आती है
वहाँ मन हुआ अर्जुन तो
गीता बनी श्री कृष्ण सी सारथी है
गीता पुस्तकीय ज्ञान नहीं
आध्यात्मिक अनुभव हैं
प्रेरक शक्ति के द्वारा ही
व्यक्तित्व निर्माण सम्भव है
गीता धर्मों से परे ईश्वरीय मार्ग है
अवसाद ग्रस्त मन की चिकित्सा
जीवन के प्रति अनुराग है
गीता के मर्म को
जिसने जितना गहराई से पाया है
समझा है स्वयं को
नित नवीन उत्थान कर
सफ़लता का ध्वज लहराया है
गीता ज्ञान का एक महासागर है, जो जितना चाहे निकाल सकता है। गीता के मर्म को समझाती सुंदर रचना!
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