रविवार, 1 सितंबर 2019

सुख सागर का छोर

गण राज्यो से देश बना , गणपति है भगवान  
हर कण में यहां देव रहे ,दिव्य साधना ध्यान



गुणों से ही पूज्य रहे, अवगुण से अपमान 
  गुणित होता चला गया ,गणपति का वरदान

गण नायक ने चित्त हरा , हारा है अभिमान  
जीवन का सौंदर्य रही, इक निश्छल मुस्कान

नायक से नेतृत्व रहा ,गायन  से गुणगान  
मिट्टी के गणराज कहे ,मिट्टी का इंसान
बाधाओ का जोर नही, बढ़े पराक्रम ओर  
साधक को मिल जाएगा ,सुख सागर का  छोर

अपनो को पाए है

करुणा और क्रंदन के  गीत यहां आए है  सिसकती हुई सांसे है  रुदन करती मांए है  दुल्हन की मेहंदी तक  अभी तक सूख न पाई क्षत विक्षत लाशों में  अपन...