शनिवार, 15 जनवरी 2022

कोई चीन चीज

चीनी से हम छले गये ,घटना है प्राचीन
ची ची करके चले गए, नेता जी फिर चीन
सीमा पर है देश लड़ा ,किच किच होती रोज
हम करते व्यापार रहे, पलती उनकी फौज
 अब तक तो प्रहार हुआ,होती है हद पार
कोरोना भी मुफ्त मिला,चीनी  कारोबार
सीमाये तो फैल रही , फैला है विष बीज 
गुणवत्ता से युक्त नही  कोई चीनी चीज

अपनो को पाए है

करुणा और क्रंदन के  गीत यहां आए है  सिसकती हुई सांसे है  रुदन करती मांए है  दुल्हन की मेहंदी तक  अभी तक सूख न पाई क्षत विक्षत लाशों में  अपन...