नदी में सदी है नदी का किनारानदी ने है वन को शहर को संवारा
छोटी हो या मोटी नदी देती रोटी
नदी होती किस्मत नदी है सहारा
नदी मन के अन्दर नदी है समंदर
नदी से है लड़ते कितने सिकन्दर
नदी है कुआरी नदी नहीं हारी
भंवर है नदी में ,नदी में बवंडर
नदी होती माता नदी को बचाओ
चहकते है खगदल इन्हें मत सताओ
नदी बहती अविरल नदी होती निर्मल
नदी में न कचरा जहर को बहाओ
नदी लेती करवट नदी चीरती पर्वत
नदी की हकीकत तो जाने पनघट
यह कितना है प्यारा नदी का किनारा
नदी ने सम्हाले कितने ही मरघट
वो खोई है खोई नदी नहीं रोई
कल छल है करती नदी नहीं सोई
जहा भी हरा है नदी की धरा है
नदी ने है माटी भिगोई है बोई
नदी में है औषध रोगों को भगाओ
नदी देती जीवन लोगो को जगाओ
नदी में मैला है नदी में खेला है
तरसते होठों को नदी तक है लाओ