गुरुवार, 31 अक्तूबर 2024

आँगन का दीपक

जहा दिव्य हैं ज्ञान  नहीं 
रहा  वहा  अभिमान 
दीपक गुणगान  करो 
करो  दिव्यता  पान 

उजियारे  का  दान  करो 
दीपक  बन  अभियान 
दीपो से  हैं  दिव्य  घड़ी 
रहे  दिव्य  मुस्कान 

उजियारे  से सींच  रहा 
 इस जग को सूरज 
अँधियारे को  दूर  करे 
आँगन का  दीपक 

दीपक  से  हैं  सीख  मिली  
मिला है अद्भुत  ज्ञान 
अंधियारे में  जले  चलो 
भूलो मत  अपमान 

दीपक  तम को  दीप्त करे 
उजियारे  का  बोल 
दीपक का  कोई मोल  नहीं 
वह  तो  है  अनमोल 


दीपक हर पल ढूँढ़  रहा 
अच्छा घर  परिवार 
उजियारे की  प्यास  रही 
दीपो का  त्यौहार 


जीवन का तम दूर  करे 
दीपक दे  वरदान 
बाधाएँ  हर और  हटे 
धवल नवल  हो  ज्ञान 



सोमवार, 28 अक्तूबर 2024

जीवित जो आदर्श रखे

सम्वेदना  का भाव  भरा
खरा  रहा  इन्सान 
जीवित जो आदर्श  रखे 
पूरे  हो अरमान 

जो  पीकर  मदमस्त  हुआ 
हुआ  व्यर्थ  बदनाम 
बाधाएँ  हर  और  खड़ी 
जीवन  मे  अपमान 

टपका जिसका स्वेद  नहीं 
उसका  न  संसार 
जीवन हैं कोई रेत  नहीं 
जीवन का  कुछ  सार 

समझा उसने मर्म

फलते-फूलते  यहां  रहे 
काले  कारोबार 
सब  रिश्तो  भूल  गये 
केवल  है  व्यापार

घूमते  फिरते  जहा  चले 
लगा नहीं  कही  मन 
बिगड़े  उनको  बोल  रहे 
कलुषित  है  चिन्तन 

उनको  कितनी  बार  मिला 
स्वागत  और  सत्कार 
न  कोई  है  आज  यहां 
जो  लेता  पुचकार

निष्ठा को  तो  चोट  मिली 
आस्था को  वनवास
भावों  को जो  व्यक्त  करे 
उसका  हो  उपहास 

जिसके  हाथो  कर्म  रहा 
उसका  है  आधार 
दूजे  का  न  दोष  दिखा  
सपने  कर  साकार 

जो  करता हैं  कर्म  यहां 
समझा उसने  मर्म 
कर्मठता  उद्योग  वहा 
कर्मठता हैं  धर्म 

बेटा सा संगीत




जीवन मे जब  हार मिली 
कही मिली है  जीत 
कोने मे  कहीं  मौन सज़ा 
कहीं  बजा  संगीत 



मधु के  भीतर  स्नेह  बसा  है 
मधुमय  हैं  मनमीत 
सच्चा प्यारा  राज  दुलारा
बेटा  सा  संगीत 


रविवार, 27 अक्तूबर 2024

सन्नाटों की जीत


सुख सपनों  को लील गये 
लोलुपता और  स्वार्थ 
अब  रिश्तों  में  रहा  नहीं  
जीवन  का  भावार्थ 

हर रास्ते पर  झूठ खडे 
सब दरवाजे  बन्द 
 होठों से हैं फूट  पड़े 
बोलो  की दुर्गन्ध 

किस्मत में है  मिले  नहीं 
खुशियो के कहीं गीत 
बिखरा बिखरा मौन रहा 
सन्नाटों की  जीत 

संवादों  के  पुल  ढहे 
काली काली  रात 
उजियाले भी  दूर  रहे 
छले गये  ज़ज्बात 

पथ पर  कांटे  मिले  जहा
वहीं  मिले  है  फूल 
अनुभव मन  की  याद  रही 
जीवन  का  स्कूल







शनिवार, 26 अक्तूबर 2024

वहीं रहा गुमराह

होठों  पर  मुस्कान  रखो 
मन  मे  शुध्द  विचार 
मिट जायेगे  दोष  सभी 
मिटेगा  व्याभिचार 

जीवन का  वरदान  मिला  
कर इसका  सम्मान 
श्रम  के  पथ  से  पायेगा 
मंजिल  और  अरमान 

श्रम से  सब  भ्रम  दूर  रहे 
श्रम से  मिले  शिखर 
 जीवन  मे  सब  साध्य  रहे 
श्रम  से  जाये  निखर 


जीवन कोई उद्देश्य नहीं 
 बस खुद  की  परवाह 
राहों  में  है भटक  रहा 
वहीं  रहा  गुमराह 

शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2024

नव जीवन है प्राण



अब रिश्तों में जान नहीं  
रहा नहीं है स्नेह 
सम्वेदना से शून्य  हुए 
गहरे है संदेह 

जीवन से अब चला  गया 
कुदरत से  अनुराग 
संबंधो  की  शाख  कटी 
लगी  हुई  है  आग 

सपनों  में  आनंद  रहा 
सपनों में  अरमान 
जीवन मे अब  शेष  बची 
झूठी केवल  शान 

उनका  अपना  शौक  रहा 
उनके  रहे  सवाल 
चुभती सी  ही  बात  कही 
खीच गई  है  खाल 

हृदय में  कुछ  और  रहा 
बाहर से कुछ  और 
चेहरों  पर मुस्कान  रहे 
भीतर से  घनघोर 

तू  अपनी  एक  ऐब  बता 
कर ख़ुद  का  निर्माण 
खुद ही से  परिवेश  रहा 
नव  जीवन  है  प्राण 

जग में  अपना  कोई  नहीं  
सब है  रिश्तेदार 
जो  भी अपना कहने  लगे 
हिस्से के  हक़दार 

आँगन का दीपक

जहा दिव्य हैं ज्ञान  नहीं  रहा  वहा  अभिमान  दीपक गुणगान  करो  करो  दिव्यता  पान  उजियारे  का  दान  करो  दीपक  बन  अभियान  दीपो ...