ख़ूबसूरत आत्मा है खूबसूरत शरीर
प्रियतमा के मिलन को मन रखना धीर
कान्हा बासुरी बजे यमुना के तीर
तुम्ही मेरी राधा हो तुम्ही मेरी हीर
भर आये आँखों में यादो के नीर
विरह की है टीस ऐसी नित उठती पीर
ये दूरिया कम कर दो मेरे जगदीश
प्रियतमा में बसती है मेरी तकदीर
प्यार ही पूजा है प्रियतम मंदिर
मरुथल के जल जैसा ममता का नीर
चारो और घिर आया ईर्ष्या तिमिर
प्रीती का दीप ऐसा उसको दे चीर
भक्तो के ह्रदय में रहते रघुवीर
प्रियतमा के चितवन में प्रिय की तस्वीर
है प्रश्न खड़े जीवन में कितने गंभीर है
कृष्ण खड़े मधुवन में गोपियों से घिर
सोमवार, 21 मार्च 2011
मंगलवार, 15 मार्च 2011
himaalayi vaade iraado ke liye
बसे घर को सदा से सजाते रहे है
नंदन उपवन में बगिया लगाते रहे है
अंधरे में दीपक जला नहीं पाए
उजाले में सूरज उगाते रहे है
निर्झर का पतन गुगुनाते रहे है
मरुथल को तरसना सिखाते रहे है
उगते अंकुर को जल पिला नहीं पाए
गहरे सिंधु में सरिता बहाते रहे है
नयन में समंदर बसाए हुए है
अगन को ह्रदय में समाये हुए है
हिमालयी वादे इरादों के लिए
श्रम सीकर की सरिता बहाए हुए
नंदन उपवन में बगिया लगाते रहे है
अंधरे में दीपक जला नहीं पाए
उजाले में सूरज उगाते रहे है
निर्झर का पतन गुगुनाते रहे है
मरुथल को तरसना सिखाते रहे है
उगते अंकुर को जल पिला नहीं पाए
गहरे सिंधु में सरिता बहाते रहे है
नयन में समंदर बसाए हुए है
अगन को ह्रदय में समाये हुए है
हिमालयी वादे इरादों के लिए
श्रम सीकर की सरिता बहाए हुए
सोमवार, 14 मार्च 2011
sham
कंचन सी कौंधी है सुनहरी शाम
रश्मी के होठो पर रत्नों के नाम
सरोवर के दर्पण में झांके गगन
सुगन्धित फूलो से महके पवन
चिडियों के कलरव में सरगमी गान
भंवरो की गुंजन ने छेड़ी है तान
मौजो से तीरों पर नौकाये आई
ह्रदय की हल चल ने बनायीं रुबाई
गायो के बछड़ो ने तृप्ति बुझाई
हो गए जीवंत डगर गली ग्राम
लहरों से उठती है शीतल समीर
, झील मिलाई मुस्काई सरिता गंभीर
प्रियतमा संध्या है प्रेमी गुमनाम
शर्मा कर चुप जाती निशा को थाम
रश्मी के होठो पर रत्नों के नाम
सरोवर के दर्पण में झांके गगन
सुगन्धित फूलो से महके पवन
चिडियों के कलरव में सरगमी गान
भंवरो की गुंजन ने छेड़ी है तान
मौजो से तीरों पर नौकाये आई
ह्रदय की हल चल ने बनायीं रुबाई
गायो के बछड़ो ने तृप्ति बुझाई
हो गए जीवंत डगर गली ग्राम
लहरों से उठती है शीतल समीर
, झील मिलाई मुस्काई सरिता गंभीर
प्रियतमा संध्या है प्रेमी गुमनाम
शर्मा कर चुप जाती निशा को थाम
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