वो एक अँधेरी रात थी ,उस रात में कोई बात थी
वह रात हुई जज्बात थी ,रह गई अधूरी बात थी
वह रात हुई जज्बात थी ,रह गई अधूरी बात थी
एक था भरोसा छल गया ,भरी आँख थी काजल गया
निखरा हुआ हर पल गया ,एक ख्वाब था जो जल गया
बुझे रोशनी के थे दिए ,गुप -चुप हुई कुछ घात थी
दिल को कहा सकून था ,बचपन गया कही गुम था
यौवन लिए नई धुन था ,हुआ रिश्तो का खून था
ठोकर मिली कसैला मन था ,बिलकुल नहीं मिठास थी
हमें प्रेम जो भी मिला ,करता रहा शिकवा गिला
राहत भरा न पल मिला ,न चाहतो का फुल खिला
ढूँढते रहे बाजार में ,न दिल की मिली किताब थी
राहत भरा न पल मिला ,न चाहतो का फुल खिला
ढूँढते रहे बाजार में ,न दिल की मिली किताब थी
चले रास्ते पे दो कदम ,पाई रिश्तो से थी हर चुभन
भरे नीर से भावुक नयन ,बना भावनाओं का भवन
मिला नियति का नहीं चयन, हुई दर्द की बरसात थी
कहा हौसलों को बल मिला ,रहा काँटों का ही सिलसिला
सुख का सहारा न मिला ,मिला दुखो का ही काफिला
लुटी ख्वाहिशे फिर भी चला ,चलते हुए हुई रात थी
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