सोमवार, 30 जनवरी 2012

माँ शारदे ,दुलारदे ,जीवन हमारा तार दे

माँ शारदे ,दुलारदे ,जीवन हमारा तार दे
वसन्त का न अंत हो ,वसंत की बहार दे

अकर्म का ही अंत हो ,नव चेतना जीवंत हो
चलते रहे सुमार्ग पर ,पथ पर सदा वसंत हो
वीणामयी पुकार दे ,जीवन मेरा सॅवार दे
माँ शारदे  ,हमे प्यार दे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
नही साधना अपूर्ण हो ,आराधना माँ पूर्ण हो
वात्सल्य का ही भाव हो, कौशल्यता निपुण हो
व्यवहार दे माँ माँ शारदे , विकार सारे मार दे
माँ शारदे ,हमे प्यार दे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
आनन्द ही कन्द हो और मुस्कराया छन्द हो
बहती हवाये मन्द हो,बिखरी हुई सुगन्ध हो
सम्वेदना ,विस्तार दे,विचार दे ,माँ शारदे
माँ शारदे ,हमे प्यार दे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
डिगे नही,बिके नही ,थके नही ,रुके नही
चरित्र मे हो दृढ़ता ,झुके नही ,चूके नही
निखार दे माँ शारदे ,व्यक्तित्व को निखार दे
माँ शारदे  ,हमे प्यार दे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज