बहुत अच्छा है
व्यक्ति में आत्म विश्वास हो
होता रहे आत्मा का विकास हो
आत्मा रहे सदा उल्लास हो
परमात्मा के निकट
होता रहे आत्मा का विकास हो
आत्मा रहे सदा उल्लास हो
परमात्मा के निकट
आत्मा का वास हो
उतना ही आवश्यक है
आत्मा शुध्द हो ,प्रबुध्द हो
आत्मा एवं मन में न चलता रहे युध्द हो
आत्मोत्थान का मार्ग नही अवरूध्द हो
क्योकि आत्म विश्वास का प्रत्यक्ष सम्बन्ध
उतना ही आवश्यक है
आत्मा शुध्द हो ,प्रबुध्द हो
आत्मा एवं मन में न चलता रहे युध्द हो
आत्मोत्थान का मार्ग नही अवरूध्द हो
क्योकि आत्म विश्वास का प्रत्यक्ष सम्बन्ध
आत्म के शोधन से है
आत्म शुध्दि से विकसित आत्म विश्वास में ही
निराकार पर ब्रह्म का वास है आत्म शुध्दि से विकसित आत्म विश्वास में ही
और उसमे ही रहता है सच्चिदानंद
रहता सर्वदा उल्लास है
निहित उसी में
जीवन के सत्य का आभास है
इसलिए आत्म की शुध्दि पर
टिका आत्म विश्वास महत्वपूर्ण है
ऐसा आत्म विश्वास ही अक्षय है अक्षुण है
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