मौसम ने तन-मन को लू से लपेटा है
बारिश का मौसम क्या ? गर्मी का बेटा है
जीव-जन्तु अकुलाये सहमे हुये है साये
खग-दल है गुम सुम ठहरे पल अलसाये
चल-चल कर मरूथल मे भाग्य गया लेटा है
पतझड़ ने झड़-झड़ कर पत्ते खूब बरसाये
तकदीर से लड़ -लड़ कर मंजिल को हम पाये
दुःख दर्द हर गम को आँचल मे समेटा है
जीवन का संगीत तो धीर वीर ने गाया है
यमुना के तीर से ही बांसुरी स्वर आया है
पर्वत है गोवर्धन , ग्वाला -दल बैठा है
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें