शनिवार, 8 सितंबर 2012

सुगन्ध मे विस्तार है

रूप मे सौन्दर्य है रंग रूप मे संसार है
स्पर्श मे आनंद  है ,आनंद  अपरम्पार है
गन्ध मे अनुभूतिया है,सुगन्ध मे विस्तार है
है रस भी रहस्यपूर्ण ,रस रंग की बौछार है

सादगी मे ताजगी है ताजगी मे जिन्दगी
दोस्ती की राह देती,दोस्ती और  बन्दगी
दोस्ती विश्वास है,विश्वास ही संसार है
जख्म दे न दोस्तो को दोस्ती दे जिन्दगी


व्यक्ति मे है मान रहता,अभिव्यक्त स्वाभिमान है
व्यक्तित्व मे निहीत रहे गुण,गुणवान ही इन्सान है
चरित्र की परिपूर्णता ही ,ज्ञान की सम्पूर्णता है  
चरित्र से परिपूर्ण ज्ञानी, गणमान्य है विद्वान है

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

छंदों पर प्रतिबंध है

खुली नहीं खिड़की  दरवाजे बन्द है  जीवन में बाधाएं  किसको पसन्द है कालिख पुते चेहरे हुए अब गहरे है  गद्य हुए मुखरित छंदों पर प्रतिबंध है मिली...