भींगी हुई दोपहर ,भींगी हुई शाम
भींगा हुआ हर पल ,बह गये धाम
तीर्थो में भर गये है , सारे ही कुंड
क्षत -विक्षत लाशें है, बिखरे नर मुंड
बहुतेरे मिल गये है, ढेरो गुमनाम
बदला है बारिश ने ,कितना भूगोल
पैरो में छाले है, बम हर हर तू बोल
हे भगवन लौटा दे, वापस मुस्कान
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