ज्योति रूप परमात्मा, द्वादश ज्योतिर्लिंग
आलोकित अंतर करे ,शिव मंदिर शिव लिंग
परम पिता परमात्मा ,माता पार्वती
महादेव दो वर हमें ,हो निर्मल मन विमल मति
करुणा और क्रंदन के गीत यहां आए है सिसकती हुई सांसे है रुदन करती मांए है दुल्हन की मेहंदी तक अभी तक सूख न पाई क्षत विक्षत लाशों में अपन...
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